क्या खराब CIBIL पर पर्सनल लोन नहीं मिलता? क्या इसकी ब्याज दर फिक्स होती है? ऐसी तमाम गलतफहमियां हैं जिनके चक्कर में लोग फंसे रहते हैं. जानिए पर्सनल लोन से जुड़े 5 सबसे बड़े मिथकों की सच्चाई.
पैसों की अचानक ज़रूरत पड़ने पर, पर्सनल लोन अक्सर सबसे पहले दिमाग में आता है. ये एक ऐसा तरीका है जिसमें बिना कुछ गिरवी रखे आपकी इमरजेंसी की जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकता है. लेकिन इसके साथ ही लोगों के मन में इसे लेकर कई तरह के डर और गलतफहमियां भी हैं. सुनी-सुनाई इन बातों के झांसे में तमाम लोग फंसे हुए हैं. आज यहां हम बताएंगे पर्सनल लोन से जुड़ी वो 5 सबसे बड़ी गलतफहमियां (Myths) जिन्हें आपको हर हाल में दूर कर लेना चाहिए.
गलतफहमी 1: खराब सिबिल स्कोर है तो लोन नहीं मिलेगा
ये पर्सनल लोन से जुड़ा सबसे बड़ा और सबसे आम मिथक है. लोगों को लगता है कि अगर उनका सिबिल (CIBIL) स्कोर 750 से कम है, तो उन्हें कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान लोन नहीं देगा.
सच्चाई: यह बात पूरी तरह से सच नहीं है. हां, एक अच्छा सिबिल स्कोर (750+) आपको आसानी से और कम ब्याज दर पर लोन दिलाने में मदद करता है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि कम स्कोर वालों के लिए सारे दरवाजे बंद हैं. लोन हर उस शख्स को मिल सकता है जो बैंक को अपनी वित्तीय स्थिरता दिखा सके. इसके अलावा पर्सनल लोन के लिए बैंक के अलावा NBFC (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) और फिनटेक ऐप्स हैं जो कम सिबिल स्कोर वाले ग्राहकों को भी पर्सनल लोन देते हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि कम स्कोर को बैंक ज्यादा जोखिम भरा मानता है, इसलिए वो ज्यादा ब्याज दर वसूल सकता है और लोन की शर्तें थोड़ी कड़ी हो सकती हैं. लेकिन ‘लोन मिलेगा ही नहीं’, यह सोचना गलत है.
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गलतफहमी 2: ब्याज दर फिक्स होती है, इसमें मोलभाव नहीं होता
अक्सर लोग यह मान लेते हैं कि बैंक ने जो ब्याज दर बता दी, वही अंतिम है और उसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता. वे बिना तुलना किए पहली ही पेशकश को स्वीकार कर लेते हैं.
सच्चाई: पर्सनल लोन की ब्याज दरें पत्थर की लकीर नहीं होतीं. अगर आपका क्रेडिट स्कोर बहुत अच्छा है, आपकी नौकरी स्थिर है और आप लंबे समय से किसी बैंक के ग्राहक हैं, तो आपके पास मोलभाव करने की गुंजाइश होती है. स्मार्ट तरीका ये है कि आप हमेशा 3-4 बैंकों या वित्तीय संस्थानों से ऑफर लें. जब आप एक बैंक को दूसरे का ऑफर बताते हैं, तो बेहतर डील मिलने की संभावना बढ़ जाती है. बैंक भी अच्छे ग्राहकों को खोना नहीं चाहते.
गलतफहमी 3: पर्सनल लोन लेना हमेशा एक गलत फैसला है
कई वित्तीय सलाहकार पर्सनल लोन से दूर रहने की सलाह देते हैं, जिससे लोगों के मन में यह धारणा बन गई है कि यह हमेशा एक वित्तीय बोझ और गलत फैसला ही होता है.
सच्चाई: यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप लोन क्यों और कैसे ले रहे हैं. पर्सनल लोन एक वित्तीय ‘टूल’ है. अगर आप इसका गलत इस्तेमाल करेंगे तो ये नुकसान देगा, लेकिन सही इस्तेमाल करने पर यह बहुत फायदेमंद हो सकता है.
गलतफहमी 4: बैंक पर्सनल लोन के तौर पर लिए गए पैसों के खर्च पर नज़र रखता है
कुछ लोगों को यह डर होता है कि अगर उन्होंने पर्सनल लोन लिया, तो बैंक इस बात पर नज़र रखेगा कि वे पैसा कहां खर्च कर रहे हैं.
सच्चाई: ये बिल्कुल गलत है. पर्सनल लोन एक “अनसिक्योर्ड लोन” है, यानी ये किसी खास मकसद से बंधा नहीं होता. होम लोन सिर्फ घर के लिए और कार लोन सिर्फ कार के लिए इस्तेमाल हो सकता है, लेकिन पर्सनल लोन के पैसे का इस्तेमाल आप अपनी किसी भी ज़रूरत के लिए कर सकते हैं – चाहे वह शादी हो, मेडिकल इमरजेंसी हो, घूमना-फिरना हो या कोई पुराना कर्ज चुकाना हो. बैंक आपसे पैसे के उपयोग का हिसाब नहीं मांगता.
गलतफहमी 5: लोन की प्रक्रिया बहुत लंबी और कागजी होती है
पुराने जमाने में लोन लेने का मतलब था बैंकों के चक्कर काटना, लंबी लाइनों में लगना और ढेरों कागजात जमा करना. यही सोच आज भी कई लोगों को लोन के लिए आवेदन करने से रोकती है.
सच्चाई: टेक्नोलॉजी ने इस पूरी प्रक्रिया को बदल दिया है. आज ज़्यादातर बैंक और फिनटेक कंपनियां ऑनलाइन पर्सनल लोन देती हैं. आप घर बैठे मोबाइल ऐप या वेबसाइट से अप्लाई कर सकते हैं. KYC भी वीडियो कॉल या डिजिटल तरीकों से हो जाता है. अगर आपकी प्रोफाइल सही है, तो लोन की रकम कुछ ही घंटों या कभी-कभी मिनटों में आपके खाते में आ जाती है. अब लंबी कागजी कार्यवाही बीते दिनों की बात हो गई है.
कहां कर सकते हैं पर्सनल लोन का इस्तेमाल
सही इस्तेमाल
- किसी मेडिकल इमरजेंसी के लिए.
- ऊंची ब्याज वाले क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाने के लिए (इसे ‘डेट कंसोलिडेशन’ कहते हैं).
- शिक्षा या स्किल अपग्रेडेशन के लिए.
गलत इस्तेमाल
- छुट्टियों पर जाने के लिए.
- महंगा फोन या गैजेट खरीदने के लिए.
- शेयर बाजार में सट्टा लगाने के लिए.